कोरोना काल
कोरोना काल
कुछ आराम करना सीख गये
कुछ काम करना सीख गये
कुछ पैदल चलना सीख गये
कुछ पैसे बचाना सीख गये
कुछ पैसे उड़ाना सीख गये
कुछ खाना बनाना सीख गये
कुछ मदद करना सीख गये
कुछ दान करना सीख गये
कुछ घर पर रहना सीख गये
कुछ वजन बढ़ाना सीख गये
कुछ वजन घटाना सीख गये
मोबाईल से पढ़ना सीख गये
मिल-जुल रहना सीख गये
ऑनलाइन व्यापार सीख गये
ऑनलाइन टीचिंग सीख गये
कोरोना बहुत कुछ ले गया
पर बहुत कुछ सीखा दिया।
००००००० ०००००००००००
(स्वरचित)
कवि कपिल खंडेलवाल कलश
कोटा, राजस्थान