कोरोना काल
देश की हालत बिगड़ गई है
ज़िन्दगी सबकी बिखर गई है
हर तरफ महामारी है,
बेरोज़गारी है,
पर हम कर कुछ नहीं सकते
क्योंकि यह हमारी लाचारी है
बीमारी ये अमीरों ने लाई है
और प्राण देश के मजदूरों ने गवाई है
भूखे बच्चे तड़प रहें हैं
देश की जनता भड़क रहे हैं
एक ओर जहां अशांति है
वहीं दूसरी ओर शांति है
नदियां कलकल बह रही है
चिड़ियां चह चह चहक रही है
प्रदूषण का नाम नहीं है।
शुद्ध हवाएं बह रही है
मानो जैसे कह रही है
रुक जा, संभल जा
प्रकृति का संदेश ये सुन ले
मत खिलवाड़ कर हे मानव तू मुझसे
नहीं तो छीन लूंगा मैं अपनो को तुझसे
नहीं तो छीन लूंगा मैं अपनो को तुझसे