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23 May 2023 · 1 min read

कोरोना काल

बहुत समय के बाद सभी ने, ताका है आकाश,
जिनके पास वक्त नहीं था,समय है उनके पास।
बच्चे बहुत व्यस्त थे,अब तक मोबाइल के साथ,
समय मिला हैं उनको भी कि, कर पा रहे हैं बात।
पशु,पक्षी, सब खुश आज हैं,मुग्ध घूम रहे बेरोक,
नदी की बहती निर्मल धारा, नहीं हैं कोई रोक।
लगता हैं प्रकृति भी स्वयं,सहज सफाई है करती,
देख रहे हम फुर्सत में,कभी गगन,कभी धरती।

रामनारायण कौरव

Language: Hindi
169 Views
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