कोरोना काल
“प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
धरा पे जो सवाल है,लोक भी बेहाल है
मन बहुत अचेत है,कुछ नही सचेत है
समय की यह लपेट है,कोरोना की चपेट है
अजान जान कर मुझे,ले रहा समेट है
कराल काल ब्याल के,कमाल चाल ढाल है
प्रचंड चंड ज्वाल है
यहाँ पे कृष्ण बांसुरी,यहाँ पे राम बाण है
अनन्त कोटि देवता,के खुले किंवाड़ है
रुका नही झुका नही,डिगा नही अडा रहा
यहाँ की है परंपरा,मृतु से नही डरा
यहाँ पे मातु कालिके,यहाँ पे महाकाल है
“प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
जवान आज ठान के,चले कमान तान के
द्वेष राग त्याग के,चले है जीत मान के
अदृश्य ब्याल दल कहीं,बढ़ा के पग जहांन में
दिखे नही छुपे रहे,ओसार के दलान में
ये युद्ध शुद्ध बुद्धि से,ही जीतना कमाल है
“प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
आशीष सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश