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7 May 2021 · 1 min read

कोरोना काल

देख कर हर तरफ दर्द की लहरियां
बढ़ती ही जा रहीं दिल की वीरानियां

हाल जिंदा हैं उनका तो क्या पूछिए
लग रहीं हैं शवों की भी अब पंक्तियां

मुफ्त मिलती रही जो हमें प्राण वायु
मोल मिलने में भी उसके दुश्वारियां

बेबसी भी जरा अपनों की देखिए
दाह संस्कार से भी हुई दूरियां

नन्हा बचपन भी मुरझाया है कैद में
हैं उदासी भरी उसकी किलकारियां

आज कष्टों में कितने खड़े हम सभी
पर वजह भी हमारी ही नादानियां

आज खाली हैं कल थी बहुत व्यस्तता
‘खा रही हैं बहुत अब ये खामोशियां

हमको विश्वास पर पहले की ही तरह
“अर्चना” मुस्कुराएंगी फिर वादियां

6.5.2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

3 Likes · 2 Comments · 358 Views
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