Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2023 · 1 min read

कोरोना काल मौत का द्वार

वो पत्तों का नहीं, दरख्तों का पतझड़ था,
वह आँधी तूफान नहीं, प्रकृति का तांडव था,
ऐसा मंजर छाया था धरती पर,
हर तरफ मौत का समंदर था,
हर कोई घर में बंद था, जीवन कश्मकश में था,
साँस लें तो मर जाएं, साँस ना लें तो मर जाए,
साँसे कैद थी सिलेंडर में, इंसान बंद था बंकर में,
सड़कों पर तो बस लाशें बेखौफ थी,
जिंदगी के लिए तो घर में भी मौत थी,
किनारा आ गया था जीवन का, द्वार खुल गया था मौत का,
बच्चा,बूढ़ा,जवान सब काल कलवित हो रहे थे,
महिला और पुरुष सब अंदर ही अंदर रो रहे थे,
अति सूक्ष्म दुश्मन ने ऐसा हाल कर दिया था,
इंसान की औकात को प्रकृति ने आईने के सामने रख दिया था,
हाइड्रोजन, परमाणु, मिसाइल सब बम बेकार थे,
सुपर कम्प्यूटर, ड्रोन, रडार, सेटेलाइट सब कबाड़ थे,
हाहाकार मचा हुआ था हर छोटे बड़े देश में,
कब्रिस्तान और श्मशान भरा हुआ था हर देश में,
लाशें घरों से निकालकर फेंकी जा रही थी,
नदियों में लाशें नाव बनकर आ रही थी,
ना दिखने वाले जीव ने हाल ये ऐसा कर दिया था,
चाँद मंगल पर जा रहे लोगों को घरों में ही कैद कर दिया था……
prAstya…………… (प्रशांत सोलंकी)

Language: Hindi
2 Likes · 519 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
View all

You may also like these posts

तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
हरवंश हृदय
तुम क्या जानो
तुम क्या जानो
Jai Prakash Srivastav
..
..
*प्रणय*
मेरा सुकून
मेरा सुकून
Umesh Kumar Sharma
! नारीशक्ति वंदन !
! नारीशक्ति वंदन !
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
इस शहर से अब हम हो गए बेजार ।
इस शहर से अब हम हो गए बेजार ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Why Not Heaven Have Visiting Hours?
Manisha Manjari
दिव्य प्रेम
दिव्य प्रेम
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
- अभी -अभी -
- अभी -अभी -
bharat gehlot
इश्क तू जज़्बात तू।
इश्क तू जज़्बात तू।
Rj Anand Prajapati
बदल देते हैं ये माहौल, पाकर चंद नोटों को,
बदल देते हैं ये माहौल, पाकर चंद नोटों को,
Jatashankar Prajapati
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
कागज का रावण जला देने से क्या होगा इस त्यौहार में
Ranjeet kumar patre
विषय -किताबें सबकी दोस्त!
विषय -किताबें सबकी दोस्त!
Sushma Singh
आंसूओं की नहीं
आंसूओं की नहीं
Dr fauzia Naseem shad
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
हिंदी साहित्य की नई विधा : सजल
Sushila joshi
मेरी प्रेरणा
मेरी प्रेरणा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली २०२३ की हार्दिक शुभकामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मसला ये नहीं कि लोग परवाह नहीं करते,
मसला ये नहीं कि लोग परवाह नहीं करते,
पूर्वार्थ
"सीख"
Dr. Kishan tandon kranti
तुझमें वो खास बात
तुझमें वो खास बात
Chitra Bisht
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
Harinarayan Tanha
4586.*पूर्णिका*
4586.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
Pramila sultan
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कह ही दूं अलविदा!!
कह ही दूं अलविदा!!
Seema gupta,Alwar
तुम आओ एक बार
तुम आओ एक बार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
Dr Archana Gupta
कभी कभी चाह होती है
कभी कभी चाह होती है
हिमांशु Kulshrestha
बच्चे
बच्चे
MUSKAAN YADAV
Loading...