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25 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना काल का रुप

जिस के दंश को झेल रहे है, बड़े बड़े देश सारे,
काल के इस भयंकर रुप से, कौन हमे उबारे
गुरुवर, यह काल की कैसी विशाल परछाई है,
जो कोरोना के रुप में सम्पूर्ण विश्व में छाई है।

इसका न तो हो रहा कही अंत, न कोई ठिकाना है,
आखिर कब तक, इस महामारी से झूझते जाना है।
अब एक अहसान ओर हम सब पर यह कर देना,
इस वायरल बिमारी को, क्षण भंगूर तुम कर देना।।

आहिस्ता आहिस्ता ही, इस महामारी से लड़ जाएंगे,
काल की क्रूर दृष्टि से, तेरी किरपा से ही बच पाएंगे।

आपका अपना
लक्की सिंह चौहान
बनेड़ा (भीलवाड़ा) राजस्थान

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