कोरोना काल।
1.
कोरोना ने छीन लिया कितनों का सुख चैन।
झोला भर ग़म दे दिया हुए सभी बैचैन।
हुए सभी बैचैन न कोई राह सूझती।
सांसे अटक रही हैं जन की जान सूखती।
है “कुमार” सब खंडित कुछ भी आये समझ ना।
जीवन ठहर गया है आया निठुर कोरोना।
2.
कोरोना के ताप से तप्त हुआ संसार।
दृष्टि जिधर भी डालिए दिखता हहाकार।
दिखता हाहाकार मनुज भयभीत हुआ है।
पिघल रहा भय के मारे नवनीत हुआ है।
कह “कुमार” करजोरि इसे मत हल्के लेना।
मृत्यु का दूजा नाम आजकल हुआ कोरोना।
3.
कोरोना के कारण कारण मचा हुआ है।
खुशकिस्मत है समझो जो भी बचा हुआ है।
जो भी बचा हुआ है उसपर जिम्मेदारी।
आगे की रण नीति बनाये करे तैयारी।
कह “कुमार” करजोरि नहीं तुम इससे डरना।
हारेगा भागेगा इक दिन देख कोरोना।
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कुमारकलहन्स,11,05,2021,बोइसर,पालघर।