कोरोना कविता
कोरोना महामारी के वजह से,
बंद है आज जगत सारा।
मैंने तो इन दिनों में जान लिया,
मेरा परिवार है सबसे प्यारा।
साथ में योगा प्राणायाम करते,
शुरू करते हम दिन सुहाना।
स्त्री पुरुष का भेद न मानकर,
रसोई घर भर जाता हमारा।
नए पकवान पुरानी यादों में,
रामायण महाभारत देखने का मजा है न्यारा।
संकट है के समय हम लोग, बनेंगे अपनों का सहारा।
वर्तमान की स्थिति में हमको,
सिखा दिया करके लॉकडाउन का इशारा।
मुझे अपने पति के साथ मिलकर,
उठाना होगा आर्थिक भार जरा।
साथ में रहने से मैंने कुछ बातें सीखी,
परिवार के साथ मैंने अपनी जीत देखी।
वर्तमान भी भविष्य बनाना सिखा रहा,
कीमत इंसानो की है पैसों की नहीं यह समझा रहा।
आने वाले समय में बदलेगी बहुत सी बातें,
महिलाएं रुकेगी डटकर हर क्षेत्र में,
करेगी आर्थिक समृद्धि का डेरा।
घरकाम तथा लघु उद्योग करके संभालेगी,
रिश्ते नाते और परिवार सारा।
अगर हम अपनी उम्मीदें रखेंगे ऐसे ही दटकर,
पाएंगे हम जिंदगी में खुशियों का हीरा।
व्यापार कम हुआ तो क्या हुआ?
हम जानते हैं बचत ही हमारी कमाई होगी सारा।