कोरोना और देश का विकास
निसंदेह कोरोना ने बहुत विनाश किया है। एक ओर जहां विश्व में 15 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, वहीं सभी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई। अभी तक इस बात की आशंका ज्यादा है कि वायरस चीन की लैब से निकला लेकिन विश्व समुदाय अभी भी कोई प्रतिबंध चीन पर नहीं लगा सका है। नाराज होना और कुछ न कर पाना दोनों अलग-अलग बात है। अमेरिका जैसा देश भी केवल जांच तक सीमित रह जाएगा इसमें बड़ा संदेह नहीं है।
अपने देश की बात करें तो पिछले दिनों चीनी एप पर प्रतिबंध लगाकर ये दिखाने की कोशिश की गई कि हम चीन और चीनी सामान का विरोध करते है। लेकिन आज भी देखें चीन से देश में लाखों अरब का सामान आयात किया जा रहा है। इसे मजबूरी न कहा जाए तो क्या कहा जाए। रोजाना देश में करोड़ों रुपये के मोबाइल खरीदे जाते है। इससे अधिक फायदा चीन को ही हो रहा है। उस देश को मजबूत किया जा रहा है जिसके कारण हमने अपने प्रियजन खोए और आर्थिक रूप से कमजोर हुए।
देश के विकास आप इस बात से लगा सकते है कि आज देश के कितने प्रोडक्ट इंटरनेशनल पैमाने पर अपनी पहचान बना पाए है। अमेजन, फिल्पकार्ट, स्नैपडील, उबर, ब्रिटेनिया, फोक्सवेगन और न जाने कितनी अनगिनत कंपनियां है। जिनके प्रोडक्ट हम रोजाना यूज करते है। कल्पना कीजिए यदि दिनभर में यदि आम आदमी 10 रुपये का विदेशी सामान यूज करता है तो क्या 50 पैसे विदेशी कंपनी लाभ न कमा रही होगी।
देश में टीवी पर अनेक विज्ञापन आते है कि इसमें अधिकतर साबुन, सर्फ, सैंपू के ही आते है। टैक्नॉलाजी के मामले में हम 210 देशों की श्रेणी में 50वें स्थान से भी नहीं है। मेड इंडिया मोबाइल के नाम पर एसेंबिल प्रोडक्ट इस्तेमाल कर पाते है। कारण बताया जाता है कि यदि इंडिया मेड सभी चीजे मोबाइल में प्रयोग में लाई गई तो यह बहुत महंगा होगा। 21 वीं सदी में भी ये घटिया बात।
आंकड़ों के खेल देखना हो तो हर साल जारी होने वाला विभिन्न रिपोर्ट को देख सकते है। विकास के मामले में सचमुच देश बहुत पीछे है। करप्शन जैसा दानव प्रतिभाओं के बढ़ने के मौके को काफी सीमित कर देता है। लिखने का उद्देश्य है कि टेक्नालॉजी, साइंस, इनोवेशन को प्रर्याप्त मौके दिए जाएं और उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।
बेहतर की आशा में एक सजीव सोच
मनमोहन लाल गुप्ता
मोबाइल नंबर 9927140483