कोरोना और कलाकार
“कोरोना और कलाकर”
बीते कुछ महीनों में
विश्व भर पर किया हैं कब्जा।
कोरोना रूपी महामारी ने।
बदल गये हैं सलीके
जीवन जीने के।
चेहरों पर लग गया हैं चेहरा
मास्क रूपी।
दूरियां बढ़ी हैं लेकिन दिल
दिल मिले हैं।
सबका अपना-अपना कोरोना
काल अलग-अलग सा।
कलाकार और कोरोना
दोनों ने मानों एक -दूसरे से
बांध ली हो डोर अभिव्यक्ति की।
कलाकार कैनवास पर उकेर रहा है
चित्र कोरोना का अलग-अलग रंगों से।
कूँची और रंग भयभीत नहीं
खुश हैं।
कर जो रहें हैं जागरूक जन-जन को।
रचनाकार लिख रहे हैं
हर रोज ही डायरी के पन्नो पर….
“अभी बाहर न जाओ जी
बाहर कोरोना का कहर हैं..” या फिर
” मास्क लगाओ जी
दूरी बनाओ जी।
नही हाथ मिलाओ जी…”
नृत्य के भी अपने-अपने अंदाज
बदले हैं कोरोना काल में।
कार्टूनिस्ट बना रहे हैं
कार्टून नये-नये और दे रहे ह सार्थक सन्देश।
सिर्फ जीवन पर ही नहीं ,
कला जगत पर भी हॉबी हुआ हैं
कोरोना।
सब अपने-अपने तरीके से
कर रहे हैं कोरोना से बचाव
सविता वर्मा “ग़ज़ल’