कोरोना-एक विपदा
कोई रुठा, कोई छुटा ये कैसी विपदा आन पड़ी
हर सोहरत, हर हसरत आज जान पर पड़ी
न मिल सके, न साथ रह सके, ये कैसी विपदा पड़ी
कहते थे रहो पाजीटिव पर आज वो ही जान पर पड़ी
सुनने को है कान ये तरसे कोई तो निगेटिव कहे
खुबसूरती पर इतरा न सके, चेहरा रखे सदा ढका
मिलना, मिलाना दूर हुआ सब, दूरी अब ढाल बनी
अब बातो ही बातो से सब कोई दुआ करे
ये काली रात भी जायेगी, ईक नया सबेरा आयेगा
संबल न तोड़े, हिम्मत न छोड़े हम सब
सब मिलकर दुआ करे अब ये काली रात छटे