कोरोना-एक अलग पहलू
जीवन के इस भाग दौड़ में
आया ठहराव,तू भी रुक
इस पल को जी…
होठों पर मुस्कान अभिराम
झंझा से ले विराम
इस पल को जी
अपनों के लिए हैं वक़्त मिला
साथ बैठ,बातें कर
इस पल को जी…
खेल,झगड़,रुठ,मना
फिर से बच्चा बन जा
इस पल को जी…
किताबों की धूल हटा
पढ़ लिख,कर चिन्तन
इस पल को जी…
वो संदूक में दबे ख़त निकाल
ख़ुशबू ले,मंद मंद मुस्का
इस पल को जी…
ठहरा वक़्त न जाने कब निकल जाएगा
कुछ उनकी सुन,कुछ अपनी सुना
इस पल को जी…
रेखा
कोलकाता