कोरोना आपदा
कोरोना क़हर बन टूटा है,
मानव का सर्वज्ञ होना झूठा है।
चारों तरफ़ हाय हाय है,
साधनसंपन्न देश भी असहाय हैं।
दुनिया विपदा में पड़ी है,
मानवता के लिए मुश्किल की घड़ी है।
कुछ लोग गिद्ध की तरह लाशों को नोचते हैं,
और विपदा में भी अवसर की सोचते हैं।
अवसर है धन संपत्ति कमाने का,
विचार, भूखों को भी खा जाने का।
नियत सहायता सामग्री को भी चरने की,
मनसा चंदा तक को हज़म करने की।
चोर, उच्चके, लुटेरे इसमें अवसर पाते हैं,
तभी तो ऐसे मौक़ों का फ़ायदा उठाते हैं।
और राजनीति तो जैसे विपदा में भी अपवाद है,
तभी तो कभी ना ख़त्म होने वाली मवाद है।
सब ख़त्म हो रहा है नहीं देखना चाहते,
अब भी सत्ता के लिए गोटियाँ जमाते हैं।
मानवता पर विपदा की घड़ी है,
इन्हें अब भी सत्ता की पड़ी है।
औरों को क्या करना चाहिए बताते हैं,
सिर्फ़ उपदेशक हैं, खुद कुछ नहीं करना चाहते हैं।