कोराेना का दौर
कोरोना के विकट दौर में मन बहुत घबराया था।
लॉकडॉउन के साथ ही बंधु यह संदेशा आया था।
वर्क फ्रॉम होम करें अब ऑफिस नहीं है आना।
ऑफिस का हर काम ही अब घर से ही निपटाना।
अति प्रसन्नता हुई कि अब तो घर पर मौज मनाऊंगा।
ऑफिस की ही तरह मैं अब तो घर पर रौब जमाऊंगा।
मन पसंद फरमाइश होगी, रोज नए डिश बनवाऊंगा।
क्या पता कि मैं हुक्म चलाता, खुद नौकर बन जाऊंगा।
वर्क फ्रॉम होम के संग अब जुड़ा है वर्क ऑफ होम।
हाय कोरोना एक सा हुआ शनि रवि या सोम।
अब बीवी मौज मनाती है, ऑफिस का काम न हो पाता।
घर का काम ही होता और ऑफिस से डांट मैं खाता।
कोरोना की फोटो पर अब पत्नी रोज करे है पूजा।
बिन वेतन के मेरे जैसा, मिले न नौकर कोई दूजा।
प्रभु से दुआ मैं करता हूं, ससुराल में कुछ ऐसा हो जाय।
सवा सेर का भोग चढ़ाऊं, पत्नी यथाशीघ्र मैके को जाय।
कहने को यह लॉकडॉउन है, मैं तो लॉकअप में हूं यारों।
कहां छुपे हो मेरे दोस्तों, कोई तो आओ मुझे उबारो।