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14 May 2021 · 1 min read

कोयल

******** कोयल *******
*********************

कोयल बैठी अमवा डाली।
आम्र कर मीठे मतवाली।।
मधु सा मीठा रस घोलती।
कूक कूक कर बोल बोलती।।

बाग बगीचे करती निवास।
होता रहे पल पल आभास।।
गगन है सुनता कोकिला वाणी।
बरसे तब मेघों से पानी।।

फुदकती कोयल लगे प्यारी।
मधुर राग कर लगती न्यारी।।
मधुरिम सरस गान है गाती।
सभी के कानो को सुहाती।।

कली कली है खुश्बू महकती।
गली गली महक से चहकती।।
सुनकर जन गण खुश हैं होते।
खुशी खुशी लगाते हैं गोते।।

मीठी बोली हर मन जीते।
सुन कर सभी मुग्ध हैं होते।।
प्रेम प्यार का मंत्र देती।
नफरत का अड़ राह रोकती।।

मनसीरत कोयल सा है गाए।
मधु रस की बूंदे बरसाए ।।
कोइली सी रीति अपनाओ।
जन जन में मिठास फैलाओ।।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Comment · 334 Views
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