कोयल आ काग।
कोयल आ काग
कोयल कारी बोले मीठा।
काग कारी बोले खारा।
कोयल कुहुके विरही विथा।
काग बोले विरही संदेशा।
कोयल कारी बडा चातुरा।
काग कारी बडा चेष्टना।
काग रुप बडा भाग्यवाना।
खेलत राम बड़ा बचकाना।
काग भुशुण्डि बनै कागा।
ज्ञान देत मानवकै कागा।
प्रेमी करैत प्रार्थना कागा।
दू नयननै खाइयो कागा।
शुभ अशुभ संवदिया कागा।
दुध भात खिलावे जनाना।
प्रकृति साफ करै कागा।
कृषक के सहयोगी कागा।
अंतिम क्रिया पूर्णाहुति कागा।
दोसर जनम करावे कागा।
मीठासैं निक बोली खारा।
रामा कोयलसैं निक कारी कागा।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।