“कोमल सेजों पर सोए सपने “
कोमल सेजों पर सोए सपने ,
जब अंगार बन जाते हैं .
एक चिंगारी अश्रु की,
गले के उद्द्गार बन जाते हैं .
डोलती कश्ती भवर में ,
जब जिंदगी का श्रृंगार बन जाती है .
एक छोटी बूँद ख़ुशी की ,
संतोष का पारावार बन जाती है .
दूर कोई अंगड़ाइयां लेता भ्रमर,
जब सुगंध श्वांसों में भर लेता है .
एक गुंजन सा गीत जीवन मंडप में ,
सुरों का साज बन जाता है ..
…निधि…