कोजगरा (हास्य)
मोन होंगे जे आंसू वायस,
मडवा पर होता चुमौन।
आंखि मे काजर,ललका धोती
माथ पर परितै दूइव आ धान।।
आई माई सभ गीत गवितथि,
पत्नी बैसतथि कोबरा घर।
बेटा बेटी मखान बटितए,
दैतैइ सभ के असगर स।।
सुनतहि पत्नी जोर से बजलि,
कोनो गत्र में अछि नहि लाज।
वायस भेल कुवाच्य बजै छी,
धरू कमंडल छोडू समाज।।
मन का मनोरथ मने रहि गेल,
हाकिम के जए सुनील फरमान।
सपना हमर चकना चूर भेल,
मुॅह विधुऔने टूटल गुमान।।
आशुतोष झा
१८/१०/२०२१