कोई हल नहीं मिलता रोने और रुलाने से।
कोई हल नहीं मिलता रोने ओ रुलाने से।
प्यार कम नहीं होता सिर्फ दूर जाने से।
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सिर्फ़ तुम नहीं हो तो दिल कहीं नहीं लगता।
दिल सुकून पाता है सिर्फ तेरे आने से।
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मजबूरियां रही होंगी तुमसे गर न मिल पाए।
बात समझ आएगी बाद में समझाने से।
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आपसे शरारत भी आपसे शिकायत भी।
और प्यार बढ़ता है रूठने मनाने से।
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आंसुओं से लिख दूंगा ज़ीस्त का फसाना मैं, लफ़्ज़ मेरे पढ़ लेना आप भी बहाने से।
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इंसान से मोहब्बत हो धर्म यह सिखाते हैं।
बाज क्यों नहीं आते लोग फिर लड़ाने से।
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आफताब देता है दर्स यह जमाने को।
रोशनी ही बढ़ती है रोशनी लुटाने से।
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मेरा नाम मत जोड़ो तुम किसी हसीना से।
मैं तो सिर्फ तेरा हूं पूछ लो जमाने से।
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जिंदगी में गम है तो कल खुशी भी आएगी।
मत करो शिकायत तुम फिर कभी जमाने से।
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हम तुम्हारे खातिर तो जान भी लुटा देंगे।
फायदा नहीं कोई मुझको आजमाने से।
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रात है अंधेरी तो कल सुबह भी आएगा।
सगीर बस जरूरत है इक शमा जलाने की।
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डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाज़ार बहराइच यूपी