कोई हमारा ना हुआ।
जिंदगी रोती रहीं अश्क बहते रहे।
कोई हमारा ना हुआ हम किसी के ना हुए।।1।।
हम सफर में जहां के तहां ही रहे।
लोग आते गए और वह आगे निकलते गए।।2।।
अजनबियों के संग थे क्या कहते।
लोगो के हुजूम में हमको मेहरबा ना मिले।।3।।
कहीं तो होगा वह मकतब लोगों।
जहां ये दोनों ज़मीं और आसमा जा मिले।।4।।
कारोबार में माहिर हो तुम बड़े।
तभी तो यूं तिजारत के बादशाह बन गए ।।5।।
ये रिश्ते नाते सब झूठे लगते है।
वफा के बदले हमको बस बेवफ़ा ही मिले।।6।।
जिंदगी में इत्तेफाक भी होते है।
लोगो ने पूजा और यूं पत्थर खुदा बन गए।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ