कोई शख्स पराया नहीं।
कोई शख्स जग में पराया नहीं।
अब तक किसी ने बुलाया नहीं।
मैं जगता रहा रात भर यादों में
उसे कभी मैंने भुलाया नहीं।।
इसी वहम में लिखता रहा उम्र भर।
इश्क़ मगर कभी उसने जताया नहीं।।
छवि बसी है प्रीतम की दिल में।
उसके सिवा किसी को बसाया नही।।
“आरती “का दीया बन जली हूँ।
हवा ने भी कभी बुझाया नही।।
आरती लोहनी