कोई मंझधार में पड़ा है
कोई तुफान में घिरा है तो कोई मंझधार में पड़ा है
आदमी आदमी से न जाने कौन सी तकरार में पड़ा है
जिसे भी देखिए बस खोया है अपनी ही दुनिया में
कोई इजहार कोई इकरार तो कोई इसरार में पड़ा है
कोई इजहार कोई इकरार……….
कोई मायूस बैठा है तो कोई मुस्कुराता है
कोई तन्हा बैठा है तो कोई महफिल सजाता है
कहीं रौनक मेहमानों से कोई इंतजार में खड़ा है-कोई
कोई ढूंढ रहा है सुर जैसे विरान रागों में
किसी की जिंदगी रोशन है देखो चिरागों में
कोई रोजी की जद्दोजहद के अंधकार में पड़ा है-कोई
कहीं बंगले कहीं कोठी कहीं झोपड़ियां देखो
कहीं आंखों में नशा कहीं आंसू की लड़ियां देखो
किसी को बैठेबिठाए सब कोई कतार में खड़ा है-कोई
कहीं किस्मत के मारे हैं तो कोई ऐश करता है
‘V9द’ वो जिंदगी जी कर भी जैसे रोज मरता है
सांसे चल रही बेशक पर जीवन उधार में पड़ा है-कोई