कोई भी नहीं हमारा है।
? ? ? ?
कोई भी नहीं हमारा है।
कविता ही एक सहारा है।
गम ,बेबसी ,बगावत में भी ,
ये करता नहीं किनारा है।
आँसू से भींगे पलकों पर ,
सजाता ख्वाब दोबारा है।
जब भी जो भी कहना चाहा ,
सुनने से नहीं नकारा है।
दबा हुआ जो मेरे अंदर ,
बहती नदिया की धारा है।
चुन-चुन कर मन के भावों को ,
इन कागजों पर उतारा है।
मेरे बिखरे जज्बातों को ,
शब्दों में बांध सवारा है।
हौसला बुलंद किया मेरा ,
ये मुझको सबसे प्यारा है।
-लक्ष्मी सिंह ? ☺