कोई नहीं है यूँ जो तुम्हें आदमी बना दे
मतलब नहीं है इससे अब यार मुझको क्या दे
है बात हौसिले की वह दर्द या दवा दे
है रास्ता ज़ुदा तो मैं अपने रास्ते हूँ
उनके भी रास्ते का कोई उन्हें पता दे
ख़ूने जिगर की मेरी अब ऐसी क्या ज़ुरूरत
तुमको पड़ी है जो तुम कहते हो कोई ला दे
हो किस मुग़ालते में याँ यह भरम न पालो
कोई नहीं है यूँ जो तुम्हें आदमी बना दे
माना न जाएगा यह उसका क़ुसूर ग़ाफ़िल
कोई अगर तुम्हारा जी बुझ चुका जला दे
-‘ग़ाफ़िल’