कोई नहीं रईस
तत्पर हों जिसके लिए,सदा मित्र बत्तीस !
उस जिव्हा सा दूसरा, कोई नहीं रईस !!
रसना पे जिसने नहीं, अपनी रखी कमान !
सहना पड़ जावे उसे , कई बार अपमान !!
रमेश शर्मा .
तत्पर हों जिसके लिए,सदा मित्र बत्तीस !
उस जिव्हा सा दूसरा, कोई नहीं रईस !!
रसना पे जिसने नहीं, अपनी रखी कमान !
सहना पड़ जावे उसे , कई बार अपमान !!
रमेश शर्मा .