138. कोई नहीं जानता
ना जाने कैसे मुझे,
वो दगा दे गया ।
हमारे साथ भी ऐसा होगा,
हमने कभी सोचा न था ।।
मैं समझता ही रहा
कि वो मेरा सगा है ।
सदा यही सोचता रहा,
कभी उससे धोखा नहीं मिलेगा ।।
लेकिन मन कब बदल जाये,
किस्मत कब चमक जाये ।
अस्मत कब लुट जाये,
ये कोई नहीं जानता ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
समय – 04 : 45 (शाम)
तारीख – 14/12/2021