कोई देख रहा है …
कोई देख रहा है आसमान के परदे की ओट से।
कहते तो है हम इंसान अक्सर एक दूसरे से।
खबरदार फिर भी जाने क्यों होते नहीं ,
अपनी हसरतों की जंजीरों में बंधे हुए है इस तरह से।
कोई देख रहा है आसमान के परदे की ओट से।
कहते तो है हम इंसान अक्सर एक दूसरे से।
खबरदार फिर भी जाने क्यों होते नहीं ,
अपनी हसरतों की जंजीरों में बंधे हुए है इस तरह से।