कोई दरिया से गहरा है
कोई दरिया से गहरा है
कोई गहरा ये दरिया है
कहीं पर प्यास का मौसम
कहीं बरसात ज्यादा है..।।
कहीं रोता खुद आंसू
कहीं आंसू ही मोती है
कहीं पर भूख है ज्यादा
कहीं रोटी ही रोटी है…
✍️कवि दीपक सरल☑️
कोई दरिया से गहरा है
कोई गहरा ये दरिया है
कहीं पर प्यास का मौसम
कहीं बरसात ज्यादा है..।।
कहीं रोता खुद आंसू
कहीं आंसू ही मोती है
कहीं पर भूख है ज्यादा
कहीं रोटी ही रोटी है…
✍️कवि दीपक सरल☑️