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2 May 2022 · 1 min read

कोई तो है कहीं पे।

हर दर्द को वह खुद में जज्ब कर लेता है।
इस इश्क में इंसा सबकुछ ही सह लेता है।।1।।

मां जैसा रूतबा किसी को ना मिलता है।
खुदा मां की सारी दुआएं पूरी कर देता है।।2।।

इंसानियत खुलूश सब खत्म हो गया है।
खुदगर्ज इंसान बस खुदसे प्यार करता है।।3।।

कोई तो है कहीं पे सबकुछ चलाने वाला।
इंसा जानबूझ के उससे गाफिल रहता है।।4।।

खुदाई पेश कर रहा है यूं अदना सा इंसा।
जुगनू को लगता है वह महताब जैसा है।।5।।

इंसा की औकात क्या जो कुछ भी करे।
ये खुदा है जो सबकुछ नाजिल करता है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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