कोई तो बताए – कविता
कब तक यूं ही चलता रहेगा।
निर्णय आखिर कौन करेगा ?
लंबे वक्त से,
दरख्वास्त दी है मैंने दफ्तर में !
कोई तो बताए,
काम मेरा कब बनेगा।।
कभी इस खिड़की कभी उस खिड़की।
दिन हर दिन मैं घूमता रहा।
कमाई कब करूंगा मैं?
पेट कैसे घर वालों का भरेगा।।
करूं कब तक विश्वास।
जाऊं मैं किसके पास।
अपना तो विकास कर बैठे।
मेरे विकास का चक्र कब चलेगा?
सीधा हूं सरल हूं पर हूं तो मैं भी इंसान।
गरीबी अशिक्षा से वैसे ही परेशान।
मेरी परेशानियों को,
अनुनय क्या कोई हल करेगा।।
राजेश व्यास अनुनय