कोई तो आये गले लगाये
कोई तो आये गले लगाये
दो पल जी भर आँसू बहाऊ,
कितने दर्द है उसे बताऊ,
बेचैन निगाहों को चैन दिलाये,
कोई तो आये गले लगाये।
आँखों में नमी दिन रात रहती है,
चाहत की यादें है किसे दिखाए,
सब गैर समझ छोड़ कर चले गये,
अब इस उलझन को कौन सुलझाये,
कोई तो आये गले लगाये।
सच्चा हूँ कि झूठा ये बताये,
सही गलत का फर्क कर सही राह दिखाए,
हँसना भूल चुका मुझे फिर से हँसाये,
पत्थर हो चुका हूँ दुनिया की छलावे से,
एक चिंगारी से जला मुझे पिघलायें,
कोई तो आये गले लगाये।
सपनों की दुनिया में ले जाये,
अब नींद जाने कहाँ खो गयी है,
अपनी प्यारी लोरी से सुलाए,
मेरे पंखों में फिर जान फूँक उड़ाए,
कोई तो आये गले लगाये।
मैं फिर जीना चाहता हूँ,
बस यही ख्वाहिश लिए अंतिम में मर जाये,
कोई अपना हो तो मुझे अपनाये,
कोई तो आये गले लगाये।
(विकास श्रीवास्तव)