कोई तितली नहीं आती
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तेरे जाने का शिकवा क्यूँ करें हम l
सितम खुद पर ढहाया क्यूँ करें हम ll
जमीं पर चांद हमको मिल गया है l
गगन का चाँद देखा क्यूँ करें हम l
कोई तितली नहीं आती यहाँ पर l
ठहर कर वक्त जाया क्यूँ करें हम ll
हया ये शोखियाँ, जुल्फें परीशा l
अदा ऐसी भुलाया क्यूँ करें हम ll
✍दुष्यंत कुमार पटेल
जुल्फें परीशा – बिखरी हुई जुल्फे