**”कोई गिला नहीं “
ज़िंदगी के सफर में हैं ,मंजिल का पता नहीं,
हर मोड़ दे रहा सबक , हमें कोई गिला नहीं।
किसी ने फूल से नवाजा ,किसी ने बिछाए कांटे ,
खाए धोखे फकत यारी में , हमें कोई गिला नहीं।
ख्वाब टूटे कई , उम्मीदें बिखर सी गयी ,
मिले तीरे खंजर निशां , हमें कोई गिला नहीं।
धुप छाँव की रहगुजर से गुजर रही जिंदगी ,
अकेले ही चल पड़े डगर , हमें कोई गिला नहीं।
जिदगी के हर रंग, ढंग, संग, और फलसफे को ,
लगाया गले से मिलकर , हमें कोई गिला नहीं।
यादों के साए को लिपटाए जब चलें हम अकेले,
तुम्हारी यादों का साथ, हमें कोई गिला नहीं।
नहीं मिली मंजिल तो क्या करें शिकवा ‘असीमित’,
हर कदम पर शुक्रगुज़ार, हमें कोई गिला नहीं।