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29 May 2020 · 1 min read

कोई गलती नहीं की है

1222 1222 1222 1222
हमारा हाले दिल लिखकर कोई गलती नहीं की है।
सुनाकर दर्दे दिल दिलवर कोई गलती नहीं की है।।

न मंदिर ,घर, महल चाहूँ न मुझको ताज की ख्वाहिश।
तुम्हारे दिल में ही रहकर कोई गलती नहीं की है।।

पढ़ी में रात दिन लेकिन किताबी ज्ञान ही पाया।
तो ढाई प्रेम पढ़ अक्षर कोई गलती नहीं की है।।

विरह की पीर सह सहकर कहा अश्कों ने आंखों से ।
किसी की याद में बहकर कोई गलती नहीं की है।।

थके पैरों को दी ताक़त तो मंज़िल मिल गयी मुझको।
कँटीली राह पर चलकर कोई गलती नहीं की है।।

दिया तू और मैं बाती है जलना अपनी किस्मत में।
उजालों के लिये जलकर कोई गलती नहीं की है।।

✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा

2 Comments · 287 Views
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