कोई क्यों नहीं समझ पाता हमें?”
कोई क्यों नहीं समझ पाता हमें?”
इतना वक्त देने के बाद भी??? किसी ने मुझसे पूछा।
मैंने कहा, “अक्सर लोग किताबों का कवर या कुछ पन्ने पढ़कर रउसे किनारे रख देते हैं, लेकिन कोई एक ऐसा होता है जो पूरी किताब को तसल्ली से पढ़ना चाहता है, उसके किरदारों और कहानी को जीना चाहता है।
दरअसल, सारा मसला सब्र और दिलचस्पी का है जनाब, वक्त का नहीं।”