कोई कमी जब होती है इंसान में…
कोई कमी जब होती है इंसान में…
तो वो मन-मस्तिष्क को संकुचित करती है,
सकारात्मक गुणों में अवरोध पैदा करती है।
सोच का दायरा छोटा हो जाता है…
और इंसान खुलकर ज़िंदगी नहीं जी पाता है।
इंसान को ज़माने से तालमेल बिठाना चाहिए,
हर पैमाने पर खड़े उतरना चाहिए….
और तब ज़िंदगी का सफ़र तय करना चाहिए।
…. अजित कर्ण ✍️