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5 Jan 2018 · 1 min read

कोई अहसास है जो

कोई अहसास है जो
दिल को धड़का जाता है

चलती आहों और सांसों
को रफ़तार दे जाता है

कोरा कागज सी जिन्दंगी
को इस कदर बिखेर जाता है

स्यासही और कलम को
हाथों में थमा जाता है

सुकून ए रिहायश में
उथल पुथल कर जाता है

दिल में दफ़न जज्बातों
को गज़ल कर जाता है

रातों में बिस्तर पर
सलवटें कर जाता है

बेचेन सी रातों को
चहल कदमी दे जाता है

अल सुबह खुदा को छोड़
उनको ढूंढने चला जाता है

लक्ष्‍मण सिंह
जयपुर

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