कोई अपना
अजनबी हो जाएगी वो इस तरह सोचा न था।।
इसलिए उसका पता मैंने कभी पूछा न था।।
यूं तो पहले भी वो मुझसे रूठ जाती थी।
मगर जिस तरह रूठी हैं अब के इस तरह रूठी न थी।।
देते भी आवाज़ किसको पांव के छाले भला।
हम चले राह पर उस पे कोई साया न था।।
क्या कहूं भूले पर भी अब याद आती हैं क्यों।
दर्द का रिश्ता था उससे खून का रिश्ता न था।।
कहने को तो सब अपने थे दुनिया मे।
सच पूंछो तो कोई अपना न था।।
कृति भाटिया।।