*कोई अपना पराया है (हिंदी गजल/गीतिका)*
कोई अपना पराया है (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
पराया हो गया अपना, कोई अपना पराया है
कभी हिस्से में खुशियाँ हैं, कभी गम हाथ आया है
(2)
बदलते मौसमों की ही तरह किस्मत बदलती है
न जाने आज किस ऋतु को हमारा भाग्य लाया है
(3)
हुई जिससे बहुत ज्यादा मौहब्बत, यह नियम समझो
उसी से सबसे ज्यादा, आदमी ने दर्द पाया है
(4)
अगर मिलते नहीं तुमसे, तो कोई गम नहीं होता
तमाशा सारा यह, मिलकर बिछुड़ने ने कराया है
(5)
अगर कुछ बात होती ,सब्र थोड़ा हो गया होता
गजब बे-बात जाने सोच क्या तुमने ढहाया है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो.9997615451