व्यथित मन
अतीत की कहावत ठीक ही है.
बोलने वाले के *डूंडल़े (गेंहूँ के साथ उसका तना) भी बिक जाते है.
सही जानकारी देने वाले के देशी गेंहूँ भी रखे रह जाते हैं.
एक शिक्षित गृहस्थ स्त्री बाजार में घरेलू सामान खरीदी के लिए, बाजार गई,
जो ज्यादातर घरों में होता है
आजकल,
वह एक किताब की दुकान
जहाँ पर सभी धार्मिक कथा/कहानियों की पुस्तक, व्रत कथा, और साधना में प्रयोग सामान भी मिलते थे,
एक दीपक ले आई.
जिसे बेचने वाले ने,
अलादीन चिराग की महिमा बताकर.
सामान्य दीपक को कई सैंकड़ों रुपये में बेच दिया,
मैंने कहा ऐसा चिराग,
कोई हुआ ही नहीं आज तक,
मुझ जैसे *लेखक की खुराफात को आप
सच समझती हो,
आपके शिक्षित और गृहस्थ जीवन के फायदे बताओ,
मैं ठहरा तथाकथित ईश्वर की महिमा मंडन से किनारे रखने वाला..
मैंने कहा सोच-विचार कर सकती हो.
निर्णय सही और सटीक लै सकती हो.
कहने लगी हाँ.
तब मैंने कहा,
चिराग रगडने का मतलब.
सोच विचार
तर्क वितर्क
शंका समाधान
रहस्य से परदे हटाना.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस