कैसे सुनाएं साथी
कैसे सुनाएं साथी, तकदीर का फसाना
बसाने घर चले थे, पर उजडा़ आशियाना
कैसे सुनाएं साथी, तकदीर का फसाना
खुशियों का, चाहतों का था ख्वाब एक अपना
जो देखती है दुनिया, देखा वही था सपना
पर टूटे ख्वाब सारे, सपना हुआ बेगाना
कैसे सुनाएं साथी, तकदीर का फसाना
अब जीना मेरा जैसे, जंजाल हो गया है
देखो जरा नजर भर क्या हाल हो गया है
दुनिया में एक पल भी, मुश्किल हुआ बिताना
कैसे सुनाएं साथी, तकदीर का फसाना
दिन काटे से कटे न, तड़पा रहीं हैं रातें
बिछड़न से भी ज्यादा तड़पातीं मुलाकातें
सब चैन, नींद खोए, गम का नहीं ठिकाना
कैसे सुनाएं साथी, तकदीर का फसाना
दर्द से भरी बस, ये तान सुन लो मेरी
करता हूं एक विनती भगवान सुन लो मेरी
जीवन में दिन किसी को ऐसे नहीं दिखाना
कैसे सुनाएं साथी, तकदीर का फसाना
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली