कैसे लिखूं
कैसे लिखूं कोई कविता
जब मन चंचल है
मन की व्यथा दूर नहीं
किसी शैली की समझ नहीं
न तजुर्बा , न प्रतिभा
केवल चंद शब्दों का ज्ञान है
विचारों की खिचड़ी में कैसे सोचूं
रचने योग्य जो बात है
फिर भी लिखूं मैं कविता
हौसला अपने साथ है
यही मेरी शुरुआत है
कुछ रच देने की आस है ।