कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
(शेर)- कभी हमें अपना तो समझा नहीं, आज क्या प्यार मिलेगा।
होना पड़ेगा शर्मसार हमको ही, ठिकाना उनसे बेकार मिलेगा।।
————————————————————-
कैसे रखें हम कदम, आपकी महफ़िल में।
होगी क्या हमसे बहार, आपकी महफ़िल में।।
कैसे रखें हम कदम————————–।।
साथ कुछ लाये नहीं हम, तुमको क्या दे सकेंगे।
लोग क्या तुमसे कहेंगे, आपकी महफ़िल में।।
कैसे रखें हम कदम————————–।
होंगे क्या काबिल तुम्हारे, आप जैसे माहताब।
बन सकेंगे नहीं हम सितारें, आपकी महफ़िल में।।
कैसे रखें हम कदम————————–।।
देख लेगा कोई अगर, हमारी मुफलिसी को।
होगा तब कैसा नजारा, आपकी महफ़िल में।।
कैसे रखें हम कदम————————–।।
बन सकेंगे हम नहीं, आपकी मन्जिल के फूल।
नहीं मिलेगी तुम्हें ख़ुशी, आपकी महफ़िल में।।
कैसे रखें हम कदम————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)