कैसे ये नारा लिखूं?
प्रार्थना लिखूं,या शिकायत लिखूं।——-+मुझे बता मेरे दोस्त अब!क्या लिखूं?—–चारो तरफ दीपकों की भरमार है।———ले किन दिखाई कुछ दे नही रहा।—-+-+-उजाला लिखूं या अंधेरा लिखूं।———+अब मुझे बता मेरे दोस्त क्या लिखूं।——हंसने , हंसाने वालों की भीड़ है जमा ।—-लेकिन कानों में चीख, पुकार दे रही सुनाई।—बता मेरे दोस्त कैसे मजा लिखूं।-दर्द के दरिया में बह रहा हूं। किनारा न देता दिखाई।—–बता मेरे दोस्त कैसे सहारा लिखूं।——++देख इंसान की प्रवृत्ति को! कहता है अधर्म का नाश हो, कैसे यह नारा लिखूं।