कैसे भूल सकूँगा तुझको
कैसे भूल सकूँगा तुझको,
अम्मा जब तक जीता हूँ।
प्यार भरा अमृत का प्याला,
बचपन से ही पीता हूँ।।
बिल्कुल बेबस और अकेला,
मैं दुनिया मे आया था।
माँ तुमने गोंद में लेकर मुझको,
अपना दूध पिलाया था।।
माँ कितने प्रेम से तुमने मुझको,
धीरे-धीरे पाला है।
विपदा झेली आप हमेशा,
मेरा हर दुख टाला है।।
पाला पोसा तुमने मुझको,
उँगली पकड़ चलना सिखया है।
दुनिया इस दुख की आंधी में,
प्रीत का बाग बनाया हैं।।
कैसे भूल सकूँगा तुझको,
अम्मा जब तक जीता हूँ।