कैसे तेरा दीदार करूँ
कम्बख़्त पर्दा है कैसे तेरा दीदार करूँ
जरा सा पर्दा हट जाए तो मैं दीदार करूँ
जरा सा पर्दा…………….
मैने मोहब्बत की है खुदा कसम तुझसे
मुझे बता कब तलक मैं यूँ इंतजार करूँ
जरा सा पर्दा…………….
अब तलक देखा है कहाँ तुझे जी भरके
अब तो दिखा सूरत तेरी मैं इसरार करूँ
जरा सा पर्दा…………….
मैने पूजा है तुम्हे देखो तो खुदा की तरह
दिल ने चाहा है बस तुझे मैं इकरार करूँ
जरा सा पर्दा……………
“विनोद” चाहत है तुम्हारी हमारे दिल में
तूँ जो मिल जाए बेइंतहाँ तुझे प्यार करूँ
जरा सा पर्दा……………
कम्बख़्त पर्दा है कैसे तेरा दीदार करूँ
जरा सा पर्दा हट जाए तो मैं दीदार करूँ
स्वरचित
( V9द चौहान )