कैसे तुमने यह सोच लिया
कैसे तुमने यह सोच लिया, करता हूँ प्यार मैं तुमसे।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया—————————।।
दिया है ऐसा क्या मुझको, जिससे करूँ तारीफ तेरी।
दिया है मुझको कितना आदर, कि मैं करूँ खिदमत तेरी।।
क्यों मानती है ऐसा तू , चाहता हूँ मिलना मैं तुमसे।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया————————।।
दुहा यह अक्सर तुमने की, उजड़ जाये चमन मेरा।
लूटा है मुझको बहुत तुमने, किया बदनाम दिल मेरा।।
ऐसे क्यों देखती है तू , जैसे कुछ चाहती है मुझसे।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया———————–।।
भूल जाना तू वो दिन, मस्ती भरे पल कल के।
वो अपना लड़ना- झगड़ना,सँजोये ख्वाब मंजिल के।।
क्यों ऐसा तू समझती है, चाहता हूँ तुमको दिल से।
फ़क़त तेरा यह वहम है, मुझको है प्यार बहुत तुमसे।।
कैसे तुमने यह सोच लिया———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)