कैसे गीत लिखूं मैं उन पर
कैसे गीत लिखूं मैं उन पर , जिन अधरों ने रक्त पिया है
गीतों के हक़दार वही हैं , जिन अधरों ने प्रेम दिया है
ख़ुद को श्रेष्ठ बताने वाले
समदर्शी कब हो पाते हैं
राष्ट्र , धर्म के पक्षकार कब
जगत विधायक कहलाते हैं
श्रेष्ठ वही है जगमें जिसने मानवता का उद्धार किया है
गीतों के हक़दार वही हैं जिन अधरों ने प्रेम दिया है…
आदर्श वही हो सकता है
जो जग में उद्यमशील रहा
किसी “वाद” की धारा में जो
कभी हुलस कर नहीं बहा
जिसने जगमें अंतिम क्षणतक जीवन को निर्लिप्त जिया है
गीतों के हक़दार वही हैं जिन अधरों ने प्रेम दिया है…
मैं हूं कौन ? कहां से आया ?
क्या करना है ? जग में मुझको
कौन प्रवाहित है इस जग के
कण-कण में , यह समझ गया जो
उसी “सिद्ध” ने मनुज देह का , सुंदरतम उपयोग किया है
गीतों के हक़दार वही हैं जिन अधरों ने प्रेम दिया है…