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5 Jan 2020 · 2 min read

कैसे कह दूँ , है नया वर्ष ?

कैसे कह दूँ , है नया वर्ष ?
प्रकृति में दिखता नहीं हर्ष ।

ये धुंध कुहासा छट जाए ।
बे-मौसम बादल हट जाए ।।
ठिठुरन ये ज़रा मंद भी हो ।
प्रकृति में नया द्वंद्व भी हो ।।
कमरे से बाहर निकल लोग,
जब करने लगें स्नेह-विमर्श ।।
तब ही घोषित हो सकता है,
आएगा निश्चित नया वर्ष ।।

ये सूरज ज़रा नया भी हो ।
ये कचरा ज़रा गया भी हो ।।
ये डाली ज़रा सूखने दो ।
ये पीड़ा ज़रा ऊबने दो ।।
पत्ता-पत्ता जब गिर जाए,
हो नए चंद्र का नया अर्श़ ।।
वह क्षण ख़ुद ही हो जाएगा,
इस धरती पर फिर नया वर्ष ।।

कलियों में थिरकन होने दो ।
भँवरों का गुंजन होने दो ।।
हो जन्म यहाँ जब वीणा का ।
नर्तन हो जल में मीणा का ।।
शिव की हो जब सौभाग्य रात,
हो जब निसर्ग-स्वागत सहर्ष ।।
नदियों के नव कोलाहल से ,
तट पर आएगा नया वर्ष ।।

ये हर्ष अभी आयातित है ।
ये शोर, नृत्य सब कल्पित है ।।
इसमें नव वर्ष नहीं दिखता ।
नकली में असल नहीं छिपता ।।
पत्थर भी अभी बुझे-से हैं,
आकर्ष अभी सब है विकर्ष ।।
कैसे कह दूँ और क्यों कह दूँ ?
मैं इसको अपना नया वर्ष ।।

बाहर व्यवहार नहीं दिखता ।
भीतर त्यौहार नहीं दिखता ।।
यह बेहूदी से भरा हुआ ।
केवल अपव्यय से लदा हुआ ।।
अपनी-सी इसमें बात नहीं,
अपना-सा नहीं कोई संघर्ष ।।
आखिर ! कैसे हो सकता है ?
ये एक मात्र ही नया वर्ष ।।

ऋतु भी ये पूरी नहीं हुई ।
ठंडक से दूरी नहीं हुई ।।
काँटे भी अभी पुराने हैं,
चुभते हैं यों, ज्यों चुभे सुई ।।
इनका नवरूप निखरने दो,
धीमा हो जाने दो अमर्ष ।।
ये स्वयं ही लेकर आएँगे,
इस बगिया में फिर नया वर्ष ।।

जब माघ पूर पर आएगा ।
और फागुन पूरा गाएगा ।।
खलिहानों में फसलें होंगीं ।
मतवाली जब नसलें होंगीं ।।
मधुमास सुगंधित ले वायु ,
आएगा अपना नया वर्ष ।।
प्रकृति के फिर कोने-कोने,
छाएगा अपना नया वर्ष ।।

भगतें होंगीं , पूजन होगा ।
वन्दन होगा अर्चन होगा ।।
जगदम्बा की करुणा जब हो ।
चैत्र – शुक्ल – प्रथमा जब हो ।।
थोड़ी बस करो प्रतीक्षा तुम,
वन में भी होगा नवोत्कर्ष ।।
इस आर्यवर्त की धरती पर,
सच्चा तब होगा नया वर्ष ।।

पंचांग नया तब आएगा ।
पूरा वसन्त छा जाएगा ।।
खिल जाएँगे नव-कुसुम-टेसू ।
लहराएँगे फिर नवल – गेशू ।।
कोयल का कंठ नवल होगा,
पशुओं में होगा नया हर्ष ।।
उस वक़्त सनातन परम्परा,
लेकर आएगी नया वर्ष ।।

रचनाकार – ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
Tag: गीत
8 Likes · 10 Comments · 394 Views
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